सदाचार पर निबंध
मानव जीवन का सर्वोत्तम गुण सदाचार है। यह सभी धर्मों का सार है। सदाचार के अभाव में मनुष्य समाज में सम्मान प्राप्त नहीं कर सकता। किसी विद्वान का कथन है - “ धन नष्ट हो गया तो कुछ नष्ट नहीं हुआ, स्वास्थ्य नष्ट हो गया तो कुछ नष्ट हुआ, लेकिन चरित्र नष्ट हो गया तो सब कुछ नष्ट हो गया ”, सदाचार के समक्ष धन और स्वास्थ्य तुच्छ है। वास्तव में सदाचार ही सर्वश्रेष्ठ धन है।
सदाचार मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र है। सदाचारी में आत्मविश्वास होता है। वह निडर होता है। वह असफल होने पर भी साहस नहीं छोड़ता है। सदाचारी व्यक्ति असत्य और बेईमानी से दूर रहता है। वह जानता है कि दूसरों को हानि पहुंचाना सदाचार की राह से भटकना है। वह काम, क्रोध, लोभ तथा मोह के माया-जाल में नहीं फँस सकता। अभिमान से कोसों दूर रहता है। संसार सदाचारी का सम्मान करता है। लोगों के हृदय में उसके प्रति श्रद्धा होती है। उसका जीवन सुखी व शांतिमय होता है।
सफल एवं सार्थक जीवन के लिए सदाचारी होना आवश्यक है। सदाचारी व्यक्ति का तो भौतिक शरीर ही नष्ट होता है। उसकी यश ज्योति संसार में बिखरी रहती है। सदाचारी व्यक्तियों के पद-चिन्हों पर युग चलता है।
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