प्रदूषण पर निबंध
भूमिका
प्रकृति ने मानव को उसके सुख के लिए अनेक उपहार दिए हैं - हवा, पानी, खाद सामग्री आदि जीवन के विकास के लिए दिए हैं। आदि काल में मानव प्रकृति की गोद में निवास करता था। तब उसकी आयु लंबी थी आज मानव ने पेड़-पौधे काट दिए हैं। जिससे हवा, पानी आदि दूषित हो गया है। इस कारण आज सारे विश्व में प्रदूषण की समस्या पैदा हो गई है।
प्रदूषण के प्रकार
वायु प्रदूषण - प्रकृति द्वारा दी गई हवा जो पेड़-पौधों से शीतलता प्राप्त कर प्रवाहित होती है वह आज अनेक प्रकार के वैज्ञानिक साधनों द्वारा प्रदूषित हो गई है। वायु का प्रदूषित होना ही वायु प्रदूषण है।
जल प्रदूषण - आजकल शहरों का गंदा जल नालों द्वारा नदियों में चला जाता है। वही जल नलों द्वारा हमारे घरों में पहुंचता है। यद्यपि उसमें दवाई मिली होती है फिर भी वह दूषित होता है। पानी का दूषित होना ही जल प्रदूषण कहलाता है।
ध्वनि प्रदूषण - आज मनुष्य को ध्वनि के प्रदूषण को भी भोगना पड़ रहा है। हमारे कान सीमित ध्वनि सुनने के आदि हैं। आजकल कल-कारखानों, यातायात के साधनों, माइक आदि प्रसारण यंत्रों द्वारा ध्वनि प्रदूषित हो गई है।
प्रदूषण से हानियां
जब प्रदूषित वायु हमारे फेफड़ों में प्रवेश करती है तो शरीर के कोमल अंग प्रभावित होकर नष्ट हो जाते हैं। फल स्वरुप मनुष्य को अनेक बीमारियां हो जाती हैं। दूषित जल पीने से मनुष्य का स्वास्थ्य खराब हो जाता है और उसे हैजा, टाइफाइड, पीलिया आदि रोग हो जाते हैं। तेज ध्वनि सुनने से मनुष्य के कानों के पर्दे फटने का भय रहता है तथा दिल को आघात पहुंचने से स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
रोकने के उपाय
हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। हम पृथ्वी को जितना हरा-भरा बनाएंगे उतना ही पर्यावरण शुद्ध होगा। वाहनों का अंधा धुंध प्रयोग रोकना चाहिए।
उपसंहार
प्रदूषण की समस्या विश्वव्यापी है। वातावरण को शुद्ध करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को सहयोग देना चाहिए। हम किसी भी प्रकार की गंदगी न फैलाएं और अधिक से अधिक पेड़ लगाएं।

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