अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi | Anushasan par Nibandh | 2021

 अनुशासन पर निबंध


अनुशासन पर निबंध

भूमिका 

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसको अपने जीवन में सामाजिक नियमों का पालन करना पड़ता है। वह समाज के कुछ नियमों में बंधा होता है। यदि वह सामाजिक अनुशासन का पालन नहीं करता है तो वह सामाजिक मर्यादा से गिर जाता है और समाज में मान सम्मान प्राप्त नहीं कर सकता है। अनुशासन मानव जीवन के हर क्षेत्र में आवश्यक है। अनुशासन के कारण ही वह समाज में मनुष्य कहलाने का गौरव प्राप्त करता है।

अनुशासन का अर्थ

अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है- अनु + शासन। अनु का अर्थ है पीछे और शासन का अर्थ है नियम। अतः अनुशासन का अर्थ है- नियम व आदेशों के पीछे-पीछे चलना। अनुशासन के अंतर्गत उठना-बैठना, खाना-पीना, बोलना-चलना, सीखना-सिखाना, आदर-सत्कार आदि सभी कार्य शामिल है। इन सभी कार्यों में अनुशासन का महत्व है।

सामाजिक अनुशासन

प्रत्येक व्यक्ति का समाज से प्रत्यक्ष संबंध होता है। समाज के कुछ नियम होते हैं, मर्यादा की सीमाएं होती है, जिसके अंदर प्रत्येक व्यक्ति को रहना होता है। जन्म, मृत्यु, शादी, पर्व आदि पर हम सामाजिक बंधनों से बंधे रहते हैं। समाज में बड़ों का सम्मान करना छोटे से प्यार करना, यह भी अनुशासन है। हम समाज में एक-दूसरे को सम्मान देते हैं और लेते हैं। यह सब कुछ सामाजिक अनुशासन का पालन करने पर होता है।

व्यक्तिगत व पारिवारिक अनुशासन

अपने-अपने परिवार के भी अनुशासन होते हैं। हम माता-पिता का सम्मान करते हैं। भाई-बहन प्रेम से रहते हैं। परिवार में हर छोटा, बड़े का सम्मान करता है और आज्ञा का पालन करता है। ऐसा करने से परिवारिक मर्यादा कायम रहती है। विद्यालय में अनुशासन के बिना एक विद्यार्थी विद्यार्जन नहीं कर सकता। विद्यालय में आदि से अंत तक विविध कार्यों के लिए नियम बने रहते हैं। उनका पालन न करने पर हमें दंड मिल सकता है। हम निश्चित समय पर विद्यालय पहुंचते हैं। हर जगह एक पंक्ति बद्ध जाना एक अनुशासन है। फिर घंटी के अनुसार हर विषय बार पढ़ाई करते हैं। अंत में घंटी बजती है, हम घर आ जाते हैं। अपने गुरुजनों का सम्मान करना, सहापाठी, भाईयों से प्रेम से रहना भी एक अनुशासन के अंतर्गत आता है। 

राष्ट्रीय अनुशासन

अनुशासित राष्ट्रीय ही सदैव उन्नति कर सकता है। देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ कानून बने होते हैं। उनका सभी देशवासियों को पालन करना होता है। पालन न करने पर हम दंड के भागी होते हैं। राष्ट्र से ममता व प्यार करें यह हमारा राष्ट्रीय अनुशासन हैं।

उपसंहार

मनुष्य को पग-पग पर अनुशासन का पालन करना चाहिए। अन्यथा उसको हर जगह दंडित होना पड़ता है। जीवन के लिए अनुशासन की बहुत आवश्यकता हैं।


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